मानसरोवर--मुंशी प्रेमचंद जी

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उन्माद (कहानी) : मुंशी प्रेमचंद 1 मनहर ने अनुरक्त होकर कहा-यह सब तुम्हारी कुर्बानियों का फल है वागी। नहीं तो आज मैं किसी अन्धेरी गली में, किसी अंधेरे मकान के अन्दर ...

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